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दिन की बेदर्द थकन चेहरे पे ले कर मत जा / 'क़ैसर'-उल जाफ़री
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17:09, 24 अक्टूबर 2015
सामने बैठ अभी फेंक के ख़ंजर मत जा
धूप क्या है तुझे अंदाज़ा नहीं है
'क़ैसर'
आबले पाँव में पड़ जाएँगे बाहर मत जा
</poem>
Anupama Pathak
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