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रात यादों के राहज़न आकर हिज्र के कारवाँ को लूट गये / ज़ाहिद अबरोल
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रात यादों के राहज़न आ कर, हिज़्र के कारवां को लूट गए
द्विजेन्द्र 'द्विज'
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