1,298 bytes added,
18:43, 28 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ज़ाहिद अबरोल
|संग्रह=दरिया दरिया-साहिल साहिल / ज़ाहिद अबरोल
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
किस धज से ख़ुशबुओं का जनाज़ः उठा, न पूछ
इस शहर-ए-बेलिहाज़ में क्या क्या हुआ, न पूछ
ज़ख़्मी क़लम से लिक्खे हैं मैं ने लहू के गीत
यह तर्जुमः हयात का कैसे किया, न पूछ
मेरे हसीन ख़्वाबों को सालिम निगल गए
मैं अज़दहों के शहर में कैसे रहा, न पूछ
आंखों में ज़िहन-ओ-दिल में कहां हूं ख़बर नहीं
पहली नज़र का इश्क़ हूं मेरा पता न पूछ
सदियों से रेंगते ही रहे हैं यहां के लोग
“ज़ाहिद” तू इन से मा‘नी-ए-लफ़्ज़-ए-अना न पूछ
{{KKMeaning}}
</poem>