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10:14, 29 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>
जे नीं बदळणो चावै
तो
इंकलाब रै मारग
थनै चालणो पड़सी
आवण आळी पीढ्यां सारू
लड़णो पड़सी
चेत मानखा, चेत!
जे अबै ई नीं चेत्यो
साफ सुणलै—
इण दुनिया मांय
भाईड़ा थनै
अर आवण आळी पीढी नै
बे मौत मरणो पड़सी।
</poem>