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देखए नगरक दृश्य अनूप,
बनल जेना छल स्वर्ग स्वरूप।
झंुड झुंड बालकक धयलक संग,
छवि विलोकि जनु कोटि अनंग।
जेम्हर जाथि तेम्हररूक नरनारि,
देथि बाटकें झारी बहारि।
</poem>
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