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दोसर खण्ड / भाग 1 / बैजू मिश्र 'देहाती'
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19:10, 3 नवम्बर 2015
देखए नगरक दृश्य अनूप,
बनल जेना छल स्वर्ग स्वरूप।
झंुड
झुंड
बालकक धयलक संग,
छवि विलोकि जनु कोटि अनंग।
जेम्हर जाथि तेम्हररूक नरनारि,
देथि बाटकें झारी बहारि।
</poem>
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