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15:25, 6 नवम्बर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रामनरेश पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>तू कहाँ है,
गीत ?
शुष्क मरू की एक पीड़ा
तू सजल था,
शून्य मन की एक गाथा
तू मधुर था,
तप्त पथ पर का सुधानिधि
तू कहाँ है,
मीत ?
दिग-दिगन्तों ध्वनि-प्रतिध्वनि
ढूंढती मुझको,
आ, तुझे भेंटूं हृदय भर
युगों के बिछड़े मिलें दो,
ओ, शिला की चेतना, आ,
गा,
कहाँ है तू,
गीत ?
</poem>