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14:10, 8 नवम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुँअर बेचैन
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>राहों से जितने प्यार से, मंज़िल ने बात की,
यूं दिल से मेरे आपके भी दिल ने बात की
फिर धड़कनों ने धड़कनों की बात को सुना,
यूं चुप्पियों में रह के भी महफ़िल ने बात की
हैरत में सिर्फ मैं ही नहीं, आप भी तो थे,
जब मेरे हक़ में इक मेरी मुश्किल ने बात की
उस पार तुम थे और मैं इस पार था मगर
साहिल से जैसे दूसरे साहिल ने बात की
खुद अपना चेहरा देख के वो कितना डर गया,
जिस वक़्त अपने-आप से क़ातिल ने बात की</poem>