460 bytes added,
02:49, 15 नवम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनिरुद्ध उमट
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बरसों से सूखे
कंठ के कुए में
कोई तस्वीर धुँधली सी
है फड़फड़ाती
किसी दिन
नहीं होगी
यह भी
तब क्या मुझे ही
अंतिम बार
कूदना होगा
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader