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02:49, 15 नवम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनिरुद्ध उमट
|संग्रह=
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<poem>
घर के हिस्से करते पिता
कागज पर
अपने हिस्से करते
सब को
समान रूप से
वितरण पश्चात
लौटते जब
सरक जाता
किसी ओर
जनम के हिस्से में
तब तक उनके हिस्से का
अंधेरा
बुला भी नहीं पाते
अपने अंधेरों से हम
उन्हें
</poem>
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