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10:25, 28 नवम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संजय पुरोहित
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>ना जाने
कब स्मृतियों के शूल पर
बिछी मेरी
उदास देह को
तुम पहना
जाते हो
अपनी
शहद से डूबी
अँगुलियों
से बना
नि:छल मुस्कान
की सलाइयों
पर बना
आस की
डिजाइन वाला
सतरंगी स्वेटर...
जाने कब
</poem>
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