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समय / अर्चना कुमारी
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05:03, 8 दिसम्बर 2015
जिनका अंजानापन गहरा होता है
अपनेपन से...
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समय....
घाव भी
मरहम भी
दवा भी दुआ भी !!!</poem>
Anupama Pathak
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