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शांताकारम भुजंगशयनम / श्लोक
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19:25, 10 मार्च 2008
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् .
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. १..
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