1,520 bytes added,
12:35, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शिव कुमार झा 'टिल्लू'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>जखने मारलि सजल नैन वाण
ई देह निष्प्राण भ' गेलै
छोड़लि रभसल सुधा ठोर तान
ओ फेरसँ परान ल' एलै ....
रीति प्रीतिक फिकिर कोन बाते
संग श्वेत- रास आन रहू काते
हमर जिनगी भेल प्रेयसीक मान
बूड़ल सन मुस्कान ल' एलै .......
वीर विरह तमस त्रिवेणीक संगम
आश नहिये छल फेर हैत गमगम
मुदा क्षणिक भाव जोड़ल जहान
सिनेहक सम्मान ल' एलै .....
बिनु नेहक कत' कोन दर्शन
बिनु श्रृंगारक साधना ने तर्पण
गायब बेसुधये मोह भरल गान
लय रागक विहान भ' गेलै ........
आब जाऊ अहाँ हियाक उपासना
एक युग बीतल अहींक आराधना
नव वासंती संग नवल शान
सुन्न आँगनमे चान ल' एलै .....
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader