520 bytes added,
13:21, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>तितली को देखो !
तितली तितली है
मछली मछली है
चिड़िया चिड़िया है
हिरण हिरण है
मोर मोर
यहां तक कि
जो बंदर रह गया
बंदर ही है
मगर आदमी
क्यों अब तक
आदमी नहीं है ?
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader