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13:21, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>मगरमच्छों ने
पहले नदी में जहर घोला
मगरमच्छों ने फिर
मछलियों के
बीमार हो जाने तक इंतजार किया
एक दिन आया
भूख से बेहाल
प्राकृतिक और मासूम मगरमच्छ
मारे गए आकर
नदी किनारे
रात
शहर के मगरमच्छों ने
नदी के
मगरमच्छ के मांस का
नया स्वाद चखा ।
</poem>
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