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कवि वह / राग तेलंग

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<poem>कवि वह
इस दुनिया में नहीं रहता
लिखना पूरा होते ही
हो जाता है अंतर्ध्यान

कपूर की तरह एक गंध बाकी रह जाती है

कवि वह
पढ़ते हुए समझ आता है
उसी समय भर में रहता वह
शब्दार्थों के बीच साक्षात्

यकीन करना मुश्किल
था कोई ऐसा भी
और यह भी कि
कवि वह
इस दुनिया में नहीं रहता ।

</poem>
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