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चलते-चलते / राग तेलंग

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<poem>चलते-चलते 1

पीछे कम देखो,
ध्यान रहे आगे ज्यादा
सोचते हुए चले चलो
दिखाई देते दृश्य के बारे में

पीछे बारिश हुई या होगी या
आंधी आएगी
इससे ज्यादा जरूरी है जानना कि
आगे क्या होगा

इतना ही है मोह विगत का तो
समय की सुइयों को
उल्टा घुमाकर तो बताओ !

जो पास नहीं वह खास नहीं
यह स्वीकारो
यह भी स्वीकारो
पड़ाव सफर के बन जाते हैं
मील के पत्थर
सिर्फ तुम्हारी वजह से

जिसे तुमने विदा कह दिया,कह दिया
सफर तुम्हारा जाना जाएगा
तुम्हारी कहन से ही

कोई न पूछेगा
कौन आया,कौन गया
पूछेगा तो बस यही कि
बाद तुम्हारे अब आएगा कौन !

चलते-चलते 2

चलते-चलते आया यहां तक
चलते-चलते ही पहुंच जाउंगा जाने कहां
चलते-चलते ही मिलेगा कोई और मुझ-सा
चलते-चलते ही आएगा कोई नया और थामेगा
मेरी और तुम्हारी यात्रा की डोर ।

</poem>
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