560 bytes added,
14:24, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>चला चल
बढ़े चल
कल कल कल
बहता चल
पल पल
हर पल
संभल संभल
चलता चल
न रूक
होकर भाव-विव्हल
हां ! करता चल
मन निश्छल-निर्मल
हे ! रे ! जल
बहता चल
कल कल कल
बढ़ता चल
बस्स्
चल चला चल
चल ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader