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वह हूंका ! / राग तेलंग

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<poem>तुम दूर हो अभी
अभी मैं तुम्हें
सिर्फ आवाज के सहारे
छू सकता हूं

मेरे शब्द सुनकर तुम
मेरा चेहरा गढ़ लेना और
हूंका देकर
मुझमें प्राण फूंक देना।
</poem>
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