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14:42, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>वह मेरे पास तक चलकर आई
मुझे देखती रही, देखती रही, देखती रही
मैं भी उसे देखता रहा, देखता रहा, देखता रहा
देर तक हम एक-दूसरे को तकते रहे
यूं समय गुजर गया, बिना कुछ कहे-सुने
फिर वो अचानक उठी
जाने लगी
जाते-जाते
मैंने उससे कहा -
आज अच्छी लग रही हो
वह मुस्कराई
फिर उसने कहा - ’थैंक्यू’
और चली गई
और वह थैंक्यू
मेरे पास देर तक ठहरा रहा
मेरे मुस्करा देने तक।
</poem>