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14:54, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>जब अति हो गई
तो सीधा-सादा आदमी
उठ खड़ा हुआ
बोलना शुरु किया कि
बोलते- बोलते
उसका स्वर तेज हो गया
फिर शुरु हुआ
देह में कंपन
आगे बढ़ा
अति पीछे हटी और
सीधे-सादे आदमी के बैठ जाने तक
इंतजार करने लगी ।
</poem>
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