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गृहस्थ / अज्ञेय

No change in size, 07:16, 16 फ़रवरी 2008
यह मैं उस घर में रहते-रहते <br>
बार-बार भूल जाता हूँ <br>
यो या यों कहूँ कि याद ही कभी-कभी करता हूँ: <br>
(जैसे कि यह <br>
कि मैं साँस लेता हूँ:) <br>
पह पर यह <br>
कि तुम उस मेरे घर की <br>
एक मात्र खिड़की हो <br>
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