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खुशी मिलेगी / कमलेश द्विवेदी

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<poem>जब भी कोई नदी मिलेगी.
सागर को जिंदगी मिलेगी.

सूरज में रोशनी रही तो,
चंदा को चाँदनी मिलेगी.

नेकी करके ये न सोचना,
नेकी या फिर बदी मिलेगी.

मीठे सपने नमी आँख में,
रहने दो, चाशनी मिलेगी.

मन खुश हो तो खुशी तभी है,
तुमसे मिलकर खुशी मिलेगी
</poem>
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