752 bytes added,
16:40, 24 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>जब भी कोई नदी मिलेगी.
सागर को जिंदगी मिलेगी.
सूरज में रोशनी रही तो,
चंदा को चाँदनी मिलेगी.
नेकी करके ये न सोचना,
नेकी या फिर बदी मिलेगी.
मीठे सपने नमी आँख में,
रहने दो, चाशनी मिलेगी.
मन खुश हो तो खुशी तभी है,
तुमसे मिलकर खुशी मिलेगी
</poem>