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|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
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<poem>किसी को भी अपनी निगाहों में रखना.
मगर याद मुझको दुआओं में रखना.

मुहब्बत का मतलब यही है अभी भी,
दिये को जलाकर हवाओं में रखना.

बरसना कहीं भी ओ बादल मगर जल,
ज़रा मेरी खातिर घटाओं में रखना.

बताओ कहाँ से ये सीखा है तुमने,
लुभाने का जादू अदाओं में रखना.

रिहाई कभी भी न हो पाये जिनसे,
मुझे प्यार की उन दफ़ाओं में रखना.
</poem>
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