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03:56, 25 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>वो चाहे तो पूरी कहानी बदल दे.
बुढ़ापा बदल दे जवानी बदल दे.
वो कह दे तो सूरज छिपे बादलों में,
वो कह दे तो दरिया रवानी बदल दे.
कभी दे ज़मीं आसमां दे कभी वो,
वो जब चाहे तब जिंदगानी बदल दे.
नदी खारी कर दे वो सागर को मीठा,
वो जिसकी भी चाहे निशानी बदल दे.
हमेशा नहीं कुछ भी रहता किसी का,
वो राजा बदल दे वो रानी बदल दे.
</poem>