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सिंझ्या / मोहन सोनी ‘चक्र’

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|रचनाकार=मोहन सोनी ‘चक्र’
|संग्रह= मंडाण / नीरज दइया
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<poem>
दोफारी रो
वो सुवाल
रात सूं
जकै रो
पड़ूत्तर हेरतां
फेरूं
ऊग्यावै दिन
</poem>
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