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16:05, 23 जनवरी 2016 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विनोद स्वामी
|संग्रह= मंडाण / नीरज दइया
}}
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<poem>
भींत में थान है,
थान में देवता
आरती सूं
देवता तो मानता रैया
पण
भींत कोनी मानी
अर एक दिन
दाब मार्या देवतावां नैं।
</poem>