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समय परिवर्तन / प्रेमघन

1 byte added, 06:40, 30 जनवरी 2016
तासु निवासी जन की सब भाँतिन सों अवनति॥
अपनेहीं घर रह्यो जासु उन्नति को कारन।
ताही के अनुरूप कियो छबि यानैं या मैं धारन॥
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