गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मंगलाचरण - 1 / प्रेमघन
857 bytes added
,
12:18, 30 जनवरी 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
लसत सुरँग सारी हिये हीरक हार अमन्द।
जय जय रानी राधिका सह माधव बृजचन्द॥
नवल भामिनी दामिनी सहित सदा घनस्याम।
बरसि प्रेम पानीय हिय हरित करो अभिराम॥
यह पियूष वर्षा सरस लहि सुभ कृपा तदीय।
साँचहुँ सन्तोषैं रसिक चातक कुल कमनीय॥
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits