Changes

मंगलाचरण - 5 / प्रेमघन

972 bytes added, 12:35, 30 जनवरी 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पान सन्मान सों करैं बिनोद बिन्दु हरैं,
::तृपा निज तऊ लागी चाह जिय जाकी है।
जाचैं चारु चातक चतुर नित जाहि देति,
::जौन खल नरनि जरनि जवासा की है॥
प्रेमघन प्रेमी हिय पुहमी हरित कारी,
::ताप रुचिहारी कलुषित कविता की है।
सुखदाई रसिक सिखीन एक रस से,
::सरस बरसनि या पियूष वर्षा की है॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits