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मंगलाचरण - 4 / प्रेमघन

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|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
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हेरत दोउन को दोऊ औचकहीं मिले आनि कै कुंज मझारी।
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