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|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|संग्रह=पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी
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<poem>
उनका एक बयान हुआ
दंगे का सामान हुआ

क़ातिल का जब भेद खुला
हाकिम मेहरबान हुआ

कोना-कोना चमके घर
वो जबसे मेहमान हुआ

बस्ती ही तो एक जली
ऐसा क्या तूफ़ान हुआ ?

प्यास बुझी जब सूरज की
दरिया इक मैदान हुआ

उनका एक इशारा भी
रब का ज्यूँ फ़रमान हुआ

जब से हरी वर्दी पहनी
ये दिल हिन्दुस्तान हुआ








(मासिक कथादेश-जून 2011, त्रैमासिक नई ग़ज़ल-जनवरी 2011)
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