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उठ जाग मुसाफिर भोर भई / भजन
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('कविता कोश' में 'संगीत'(सम्पादक-काका हाथरसी) नामक पत्रिका के जुलाई 1945 के अंक से)
उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो तू सोवत है
अनिल जनविजय
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