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रात भर चाँद को यूँ रिझाते रहे / गौतम राजरिशी
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14:27, 10 फ़रवरी 2016
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|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|संग्रह=
पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी
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जब से यादें तेरी रौशनाई बनीं
शेर सारे मेरे जगमगाते रहे
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Gautam rajrishi
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