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रात भर चाँद को यूँ रिझाते रहे / गौतम राजरिशी
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जब से यादें तेरी रौशनाई बनीं
शेर सारे मेरे जगमगाते रहे
(अहा ज़िन्दगी, जुलाई 2011)
Gautam rajrishi
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