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इस बात को वैसे तो छुपाया न गया है / गौतम राजरिशी
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15:02, 11 फ़रवरी 2016
{{KKRachna
|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|अनुवादक=
|संग्रह=
पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी
}}
{{KKCatGhazal}}
ये रात है नाराज़ जो देखा कि हवा से
दो-एक चरागों को बुझाया न गया है
</poem>
(लफ़्ज़ सितम्बर-नवम्बर 2011, समावर्तन जुलाई 2014 "रेखांकित")
Gautam rajrishi
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