गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पावस - 6 / प्रेमघन
No change in size
,
06:42, 22 फ़रवरी 2016
::बक औलि अकास उड़ान लगी॥
पिक चातक दादुर मोरन की,
::कल बोल महान
सुनान
सुहान
लगी।
घन प्रेम पसारत सी मन मैं,
::घनघोर घटा घहरान लगी॥
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits