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जाग उठी चुभन / भावना कुँअर

6 bytes added, 11:24, 22 मार्च 2016
‘परिन्दे कब लौटे’ इसके पीछे एक बहुत बड़ी दु:खद कहानी है। यह आपको मेरी अगली पुस्तक में पढ़ने को ही मिल पाएगी ।आपका क्या विचार है इस पर? क्या परिंदे कभी लौट पाते हैं या कभी भी नहीं लौट पाते?आशा है। मेरी अन्य कृतियों की तरह आप सभी का भरपूर स्नेह इस कृति को भी मिल पाएगा।
डॉ० भावना कुँअर
सिडनी<poem>