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16:01, 25 मार्च 2016 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुधीर सक्सेना
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<poem>
सदियों से रेत के विस्तार में
खड़ा है बीकानेर
रेत में जनमा
रेत का अभ्यस्त
रेत पर अमिट इबारत लिखने में
व्यस्त
बीकानेर चुका नहीं
चुका हो भले ही हो
दुनिया इस बाबत भी जानती है
कि साधने पर आ जाए
तो चूकता नहीं बीकानेर का निशाना
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