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व्यंग्य / विष्णु नागर

1 byte added, 14:22, 4 जून 2008
|रचनाकार=विष्णु नागर
}}
 
मैंने उन पर व्यंग्य लिखा<br>
वही उनका सबसे अच्छा विज्ञापन निकला<br>
वही मेरी सबसे कमाऊ रचना निकली<br>
वही हिन्दी साहित्य मं समादृत भी हुई।
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