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16:35, 7 मई 2016 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चाँद हादियाबादी
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[[Category:गज़ल]]
<poem>
मैंने सोचा था सो गये हो तुम
अपने ख़ाबों में खो गये हो तुम
जाने क्यों हर किसी की आँखों में
अपने आँसू पिरो गये हो तुम
दिल की नज़रों से तुमको देखा था
तब से दिल को भिगो गये हो तुम
ज़िंदगी की उदास रिमझिम में
मेरी पलकें भिगो गये हो तुम
मुद्द्तों से तुम्हें नहीं देखा
ईद के चांद हो गये हो तुम
</poem>