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आठमॅ सर्ग: भरत / गुमसैलॅ धरती / सुरेन्द्र 'परिमल'
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|संग्रह=गुमसैलॅ धरती / सुरेन्द्र 'परिमल'
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घरॅ भरी में सबके सब छै अस्त-व्यस्त,
Lalit Kumar
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