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गीत के मोती हृदय के सीप मेॅ नै भावै छै रूपया पैसा,हास-करुणा तेॅ हरेक टा गीत मेॅ नै भावै छैकपड़ा-लत्ता, कविता की छै ? भावना छैनै चाहै छी पायल-झुमका, कल्पना नै चाहै छी हम मनटिक्का,सबसेॅ बड़का ई जीवन मेॅ एतने टा छै बात हे बहिना |कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै हमरोॅ तॅे सिन्दूरे गहना |
देखी केॅ सौंदर्य केॅ सौंसे जगत मेॅसैंया जी जे होलै विदेशी,जागै होतै पैसा-कौड़ी बेसी, मतुर ई जीवन छै जे कामनाकेहनाॅे, नर मेॅ, भगत मेॅसोना लगतै छाउरोॅ जेहनाॅे,कामना की ? कविता हमरा विरहा के ई प्रेरणा आगिन मेंजलना नै छै आबे बहिना |कविता के जननी हमरोॅ तेॅ बस संवेदना छै सिन्दूरे गहना |
जब कभी दोनाॅे गोटा घाॅेर चलैबै, बच्चा केॅ भी आँखोॅ सेॅ ऑंसू बहै छैखूब पढैबै,होठ कानी-कानी केॅ स्वर दिनभर हम्मू मेहनत करबै, घरबा केॅ जनै छै अन-धन सॅे भरबै,कानना की ? कविता तोहीं बताबाॅे बिन मालिक के लगतै की ई वेदना छै |घरबा बहिना ? कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै हमरोॅ तॅे सिन्दूरे गहना |
रचनाकाल - 10 जून 2008
रचनाकाल- 10 मार्च 2010
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