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क्रिस्टोफर ओकिग्बो
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,
22:08, 14 मई 2016
<poem>
हमारे पीठ पीछे आ चुका है चंद्रमा
एक
.
-
दूसरे पर झुके
हम दो देवदारों के मध्य
अब छायाएं हैं हम
लिपटे एक
.
-
दूसरे से
शून्य को चूमती
छायाएं केवल।
</poem>
Kumar mukul
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