Changes

{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
गर्मी जेन्है केॅ गेलौ रेकेहनोॅ तोरोॅ ई घर छौदेखैं ठंडा ऐलौ रेमच्छर छौ भाय, मच्छर छौ ।
चद्दरकी सिखलेॅ छैं धंधा तोंयनाली रखभैं गंदा तोंयदलदल ऐंगनोॅ-कम्बल बाहर करछौई भूतोॅ सें डर-डर-डरमच्छर छौ भाय, मच्छर छौ ।
दाँत कराबौ किटसाफ-किट-किटसुफय्यत रहलोॅ करबच्चा मसहारी में सुतलोॅ कररक्षा लेॅ ई नै मन्तर छौमच्छर छौ भाय, मच्छर छौ फिट
गुरुवे जी रङ दै गंदा तोरोॅ गली-सड़कडी. डी. टी. के दवा छिड़कयहाँ मलेरिया के डर छौ रागबोरसी में कर जल्दी आगमच्छर छौ भाय, मच्छर छौ ।
गाँती बान्हैं, ओढ़ रजाय
दलकाबै छौ जाड़ कसाय
 
नानी तेॅ बनली छै थिर
दादी के कर फिकिर-फिकिर
 
सटली रहै छै मोखै सेॅ
मरतै दादी धोखै सेॅ ।
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,574
edits