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कुरुक्षेत्रा बर्बरीक घटोत्कच रोॅ विशाल मैदान सपूत छेलैदोनोॅ दलोॅ , भीमसेन रोॅ योद्धा दुलारोॅ पोता छेलैघटोत्कच शस्त्रा-अस्त्रा ज्ञान सेॅ, परास्त करी देनें छेलै ।
अलग-अलग शस्त्रा मौर्वी सेॅ सुसज्जित विवाह रचैनें छेलैपूरा अस्त्रा-शस्त्रा सेॅ सुसज्जित छेलै मौर्वी रोॅ पुत्रा बड़ा वीर लड़ाकू निकललै
दोनोॅ दल आमना-सामना खड़ा दादा केॅ साधारण युद्ध कौशल मेॅ हराय देनेॅ छेलैआवेॅ पल भरोॅ वनवासोॅ रोॅ इन्तजारोॅ मेॅ डटलोॅ तेरह बरस बीती रहलोॅ छेलै ।
दोनोॅ तरफोॅ रोॅ बाकुड़ा लड़ाके तत्पर सब्भेॅ पाण्डव उपप्लव वनोॅ मेॅ एकत्रित होय रहलोॅ छेलैलड़ै वास्तें बांह खिललोॅ छेलै वहाँ सेॅ चली केॅ पाण्डव कुरुक्षेत्रा ऐलै
अचानक धर्मराज आपनोॅ कवच उतारी देलकैअस्त्राहौ जगह कौरव-शस्त्रा रथोॅ पर रखी केॅ चली देलकै पाण्डव उपस्थित होलोॅ छेलैभीष्म जी नेॅ दोनोॅ रथियोॅ अतिरथियों रोॅ गणना करलकै
पैदल कौरव सेना रोॅ तरफ चली देलकैयुधिष्ठिर केॅ सब सामाचार गुप्तचरोॅ द्वारा मिललैभीष्म जन्नें खड़ा छेलैश्रीकृष्ण सें कहलकै, हुनी डेग बढ़ाय देलकै केशव
है दृश्य देखी केॅ चारोॅ भाय आश्चर्य करलकैदुर्योधन रोॅ कौनो वीर कत्तेॅ समय में पाण्डवचारोॅ रथोॅ सेॅ उतरी केॅ हुनकोॅ पीछु चली देलकै सेना सहित केरोॅ वध करै पारे छोॅ
कृष्ण है सब्भे दुर्योधन केरोॅ प्रश्नोॅ रोॅ पीछू-पीछू चली पड़लै जबाब देलकैचारोॅ भाय चिंतित होय केॅ भगवान सेॅ पूछलकै पितामह कृपाचार्य नेॅ संकेत देलकै
युधिष्ठिर आपनोॅ धूनोॅ एक महिना केरोॅ अन्दर मेॅ चललोॅ जाय छेलै पूछला पर कुछ जवाब नेॅ दैनेॅ छेलै पाण्डव सेना केॅ समाप्त करै पारै छी
कृष्ण द्रोणाचार्य नेॅ सब्भेॅ केॅ शांति रहै रोॅ आदेश देनेॅ छेलैकहलकै पन्द्रह दिनोॅ मेॅयुधिष्ठिर धर्म रोॅ पालन करै लेॅ चली देनेॅ छेलै अश्वाथामा नें दस दिनोॅ मेॅ
कौरव दलोॅ कर्ण नेॅ कहलकै, छः दिनोॅ मेॅ हलचल मची गेलोॅ छेलैशत्राुदल बोलै लागलै, युधिष्ठिर डरी गेलै पूरे पाण्डव सेना केॅ समाप्त करै लेॅ व्रत लै लेलकै
शत्राुपक्ष शंका करै मेॅ देरी नै युधिष्ठिर नेॅ देवकीनन्दन सेॅ जोरदार प्रश्न करलकैभीष्म पितामह केॅ फोड़ै रोॅ काम करलकै हमरा पक्षोॅ मेॅ कौन योद्धा येन्होॅ छै
युधिष्ठिर सीधे, भीष्म पितामह रोॅ पास गेलैहै विषय वस्तु पर उचित प्रतिक्रिया दियेॅ पारै छैहाथ जोड़ी केॅ प्रणाम करलकै, समीप गेलै अर्जुन बोललै ! महाराज
आपनें रोॅ साथ युद्ध करना विवशता भीष्म आरोॅ अन्य महारथियोॅ केरोॅ है घोषणा सरासर असंगत छैआपनें आशीर्वाद दियै युद्ध वास्तें लाचारी हमरा पक्षोॅ मेॅ दुर्धष योद्धा काल केरोॅ समान अजेय छै ।
भीष्म बोललैµ भारत श्रेष्ठ ! आबी केॅ तोहेंयुद्ध रोॅ अनुमति मांगल्हेॅसात्यकि, अवश्य जीतवे तोहें भीमसेन, प्रपद, घटोत्कच विराट, धृष्टद्युम आदिआपनोॅ पक्षोॅ मेॅ अजय श्रीकृष्ण छै
है समय तोहें यहाँ नै ऐतिहोॅसब वीरें पूरे कौरव सेना केॅपराजय रोॅ भारी शाप तोरा देतिहोॅ पलभर - नेश्तनाबूत करै पारै छै
जा पार्थ ! समर क्षेत्रोॅ मेॅ लड़ोॅअर्जुन नेॅ भीष्म प्रतिज्ञा करलकैहमरा सेॅ वरदान मांगी लेल्हेॅ, आवेॅ लड़ोॅ बर्बरीक नेॅ कहलकै.....
भीष्म बोललैµ मनुष्य धन महात्मा अर्जुन आपनें रोॅ दास होय छैप्रतिज्ञाधन केकरोॅ दास नै होय हमरा असह्ाय लागै छै ।
हौ बोललै ! कौरव धनोॅ सेॅ बसोॅ मेॅ रखनें छैबर्बरीक बोललैµअर्जुन श्रीकृष्णलाचार आपनें सब खड़ा-खड़ा होय केॅ हिनका तरफोॅ सेॅ युद्ध करै लेॅ लागै छै
आपनें अजेय छियै, आपनें हम्में पल भरी मेॅ सब्भेॅ कौरव सेना केॅ कैसें जीतवैदोसरोॅ बार आबी केॅ पूछियोॅ तबेॅ बताय यमलोक रोॅ द्वार देखाय देवै ।
धर्मराज गुरु द्रोणाचार्य सिद्धाम्बिका रोॅ पास गेलोॅ छेलैयुद्ध देलोॅ खड्ग दिव्य धनुष बाणोॅ रोॅ अनुमति माँगै लेॅ गेलोॅ छेलै कृत्य अति सरल छै
गुरु बोललैµ शस्त्रा रहतेॅ हमरा परास्त नै करै पारतैबर्बरीक रोॅ वाणी सुनी केॅ, क्षत्रिय सब्भे आंदोलित होय गेलैअप्रिय सामाचार सुनला पर शस्त्रा रखला पर मारेॅ पारतै अर्जुन लज्जित महसूस करलकै, श्रीकृष्ण केॅ अवलोकन नै करलकै
हौ समय मेॅ ध्यानस्थ होय जैवैभगवान बोललै-पार्थ, बर्बरीक आपनोॅ सही शक्ति रोॅहौ वक्त हमरा मारे पारवै ।परिचय दै मेॅ कोय कसर नै राखनें छै
धर्मराज कृपाचार्य रोॅ पास गेलैअद्भुत् बात हिनकोॅ बारे मेॅ, सब्भै आदमी बोलै छैआशीर्वाद लै वास्तें पैर छुऐॅ लेॅ गेलै हिनी पाताल लोकोॅ मेॅ नौ करोड़ दैत्योॅ केॅ
दारुण बात पूछतै, अचेत होय गेलोॅ छेलैपल भरोॅ मेॅ मौत रोॅ घाट उतारी देनेॅ छैकृपाचार्य हुनका मतलब समझाय देनें छेलै वासुदेव नेॅ बर्बरीक सेॅ कहलकै
हे ! राजन केकरो द्वारा हमरा नै मारै पारतैवत्स भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, कर्ण सुरक्षित सेना केॅतोरा लेली विजय रोॅ विनती हमेशा करवै पल भरोॅ मेॅ केना केॅ मारभोॅ
नित्य प्रातः भगवान सेॅ प्रार्थना करवैहै सब्भै पर विजय पाना, शिवजी केॅ दुस्कर पडे़ पारे छौतोरोॅ विजय मेॅ बाधक नै बनवै पास कोन उपाय छौं, छोटोॅ मुँह बड़ोॅ बात करे छौ
युधिष्ठिर नेॅ शल्य मामा केॅ प्रणाम करलकैकेना तोरा पर विश्वास करभौंशल्य नेॅ युधिष्ठिर केॅ आशीष देलकै तबेॅ बालक बर्बरीक केरोॅ मुखोॅ सें वाणी सुनलकै
पितामह नांखी शल्य नेॅ आश्वासन देलकै बर्बरीक गुस्सा सेॅ आग बबूला होय गेलैनिष्ठा बाणोॅ केॅ लाल रंगोॅ रोॅ वचन भस्मोॅ सेॅ कर्ण केॅ हतोत्साह करलकै ढकी देलकै
घृणित बातोॅ सेॅ हुनकोॅ ध्यान टूटलैकान तक बाणोॅ केॅ खींची लेलकै, आरोॅ छोड़ी देलकैहोकरोॅ युद्धभूमि मेॅ मनोबल घटलै बाणोॅ केरोॅ मुखोॅ सेॅ भस्म उड़लै
गुरुजनोॅ आरोॅ बड़ोॅ केॅ प्रणाम करी केॅ लौटलैविजय दोनोॅ सेना रोॅ आर्शीवाद लै केॅ खेमा लोटलै मर्मस्थल पर गिराय देलकैपाँच पाण्डव, कृपाचार्य, अश्वथामा
युधिष्ठिर ये सब्भै केरोॅ तनोॅ रोॅ विनम्रता-शालीनता सेॅचारोॅ भाय अवगत स्पर्श नै होलै, होकरोॅ कुशलता सेॅ बर्बरीक बोललैµअवलोकन करलियै।मरै वाला वीरोॅ रोॅ मर्मस्थल रोॅ, तुरंत-फुरंत मुआयना करी लेलियै
धर्मराज रोॅ विनम्रता बस ! दू पल मेॅ मारी केॅ गिरा दै मेॅ सक्षम छियैहै देखी केॅ युधिष्ठिर केॅ आश्चर्य लागी गेलै । लाचार होय केॅ धन्य ! धन्य ! कहै लागलैविचित्रा कोलाहल छाय गेलै । श्रीकृष्ण नै आव देखलकै नेॅ जगह बनैलकैताव देखलकै, तीक्ष्ण बाणोॅ सेॅभीष्मबर्बरीक रोॅ मस्तक पृथ्वी पर गिराय देलकै । भीम घटोत्कच केॅ बड़ा सदमा होलैतत्क्षण सिद्धाम्बिक केरोॅ देवियाँ पहुँची गेलै । हौ बोललै, द्रोणश्रीकृष्ण रोॅ अपराध नै छैबर्बरीक पूर्वजन्म मेॅ सूर्यवर्चा पक्ष छेलै । पृथ्वी भारोॅ सेॅ घबराय गेलोॅ छेलैमेरु पहाड़ोॅ पर देवता रोॅ सामना । आपनोॅ दुखड़ा सुनी रहलोॅ छेलैहै पर वें कहिनें छेलै । हम्में अकेले अवतार लै केॅ दैत्य समूह रोॅ संहार करी देवैहमरा अछैतै, कृपाचार्य कोय देवता पृथ्वी पर अवतरित होलेॅ जरूरत नै पड़तै हेकरा बोली पर ! ब्रह्मा जी जाज्वल्यवान होय गेलोॅ छेलै, आरोॅ कहलकैµदुर्मते! तोहें मोह बस। अहमं सेॅ दुस्साहस करी रहलोॅ छौं। जबेॅ पृथ्वी पर नाश रोॅ हृदय युद्ध होवै लागतैवही समय मेॅ पैठ जमैलकै कृष्णोॅ रोॅ हाथोॅ सेॅ तोरा मरै लेॅ पड़तौं । तत्काल श्रीकृष्णे नेॅ चण्डिका सेॅ कहलकैहेकरोॅ सिरोॅ केॅ अमृत सेॅ सींची केॅ  राहु के तरह अजर-अमर करी दोहोॅदेवी नेॅ आदेश के पालन करलकै । जीवित रहै रोॅ आर्शीवाद देलकैमधुसूदन केॅ प्रणाम करलकै । आबेॅ हम्में महाभारत युद्ध रोॅअवलोकन करे मेॅ सामथ्र्य होवै । मस्तक पहाड़ोॅ रोॅ शिखर पर राखी देलकैजबेॅ युद्ध समाप्त होय गेलै । आपनोॅ-आपनोॅ बखान करै लागलै ।पाण्डव पक्षोॅ रोॅ योद्धा केॅ गर्व होय गेलोॅ छेलै। सब्भे नेॅ आपनें बढ़ाय प्रशंसा रोॅ पुल बाँधै लागलै ।वादोॅ मेॅ सब्भै नेॅ निर्णय करलकै बर्बरीक नेॅ कहलकै ।हम्में तेॅ खाली एक्के आदमी केॅ युद्ध मेॅ लड़तेॅ देखलियै है आदमी केॅ बायाँ बगल पाँच मुख, आरोॅ दस हाथ छेलै ।हाथोॅ मेॅ त्रिशूल, आयुद्य संभालनें छेलै दाहिना बगल होकरा एक मुख आरो चार भुजा छेलै ।चक्र, शस्त्रोॅ सेॅ सुसज्जित छेलै बायाँ तरफ मस्तक जटा सेॅ शोभायमान छेलै ।दाहिना बगल मस्तक पर मुकुट जगमगाय रहलोॅ छेलै  बायाँ बगल भस्म लागलोॅ छेलै ।दाहिना बगल चंदन लेपलोॅ छेलै बायाँ बगल चन्द्रकला चमकी रहलोॅ छेलै ।दाहिना बगल कौस्तुक मणि झलमलाय रहलोॅ छेलै हुनके रुद्र-विष्णु रूपें कौरव सेना केॅ समूल नष्ट करी रहलोॅ छै।आरोॅ हम्में केकरोॅ संहार करते दोसरा केॅ नैं देखनें छियै आकाश मंडल उद्भासित होय गेलै आरो पुष्प वृष्टि होवेॅ लागलै ।साधु-साधु रोॅ ध्वनि सें अच्छादित होय गेलै ई सुनी, केॅ पाण्डव सब आपनोॅ फिजूल गर्व पर अधिक लज्जित होलै।
धर्मराज, शालीनता, सहिष्णुता पावी केॅ
विजय रोॅ श्रेय मिललै पाण्डव पक्षोॅ केॅ ।
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