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'''परिचय और स्थिति '''
भक्त सुदामा ब्रह्मण थे,
नित मीठे बैन बोलती थी,
नहीं ध्यान बुरा दिल पर लाती |
'''पति -पत्नी वार्ता'''
इक रोज कहा कर जोर दोऊ,
पति भूख से प्राण निकलते हैं,
छोटे-छोटे छौना मोरे,
बिन अन जल के कर मलते हैं |
यह दशा देख अकुलाय रही,
नहीं बच्चों को भी रोटी है,
रह सकते नहीं प्राण इनके,
अति कोमल है, वे छोटी हैं |
इसलिए कृपा कर प्राणनाथ,
तुम नमन करो अविनाशी को,
मत करो देर, बस जाय कहो,
सब हाल द्वारिका वासी को |
बहुत मुद्दतों बाद कृष्ण पाया,
पाया प्रेमी का ठीक पता।पता ।
उठ दौड़े, चौके, प्रभु बोले,
है कहां सुदामा बता बता।बता ।
सुनते ही नाम सुदामा का,
अति उर में प्रेम उमंग आया।आया ।
प्रेम प्रभु तो खुद ही थे,
हद प्रेम जिन्होंने बरसाया।बरसाया ।
हाल सुने करुणानिधि ने करुणेश करी करुणा अति भारी,