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हैं राजा कृष्ण्चन्द्र प्यारी,
होता है नित दरबार वहां ।
न जाने कौन महल होगा,
सिहांसन कृष्ण मुरारी का,
शायद पहचाने न प्रभु,
यह मेरा वेश भिखारी का ।
मैं खाली हाथ न जाऊंगा,
भेजो तो भेंट तैयर करो,
ले आवो मांग किसी से कुछ,
झट लावो नहीं अबेर करो ।
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