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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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[[Category:लम्बी रचना]]
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|पीछे=कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 7
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|सारणी=कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी
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<poem>
गुरु साधु नृप के यहाँ शुद्ध भेंट ले जाय ।
दर्शन करने को प्रिया खाली हाथ न जाय ॥
प्रफुलित चित मन मुदित हो पति वचन उर धार |
ले आई कछु माँग कर चावल मुठ्ठी चार ||
चार परोसन से चावल,
लाकर बोली न अबेर करो,
लोटा डोरी कंधे पर धार,
कर चले स्मरण गजानन्द का,
दिल लगन लगी हरि दर्शन की,
कछु पार न था उस आनन्द का |
मारग में यहीं विचारते थे,
न द्रव्य लिखा है ललाट मेरे,
जन्म सुधर जावेगा जब,
देखूंगा कृष्ण मुरार मेरे |
<poem>