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<poem>
चित्त में चिन्ता ईक है एक यही, वहाँ जाने देगा कौन मुझे,
मेरे दिल के अनुरागों को,
वहाँ गाने देगा कौन मुझे |जहाँ दरबानों से भूप बड़े, जाने की अर्जी लगाते हैं, खड़े रहे घन्टों ही तक, मुश्किल से मौका पाते हैं |वहाँ कौन मुझे जाने देगा, कंगाल दीन दुखियारे को,मैं कैसे हाल सुनाऊंगा, उस मोहन मुरली वारे को | कौन करेगा खबर मेरी, यह हालत देख दीवाने की,ठीक नहीं जचती दिल में, अब लज्जावश घर जाने की | विप्र सोचता राह में चलता रहा हमेश |जा पहुँचा कछु काल में पुरी द्वारिका देश || == '''द्वारिका वर्णन ''' == बिल्लोर के स्थान बने सुन्दर, उत्तम दिखलाई देते थे, सुनहले जटित रत्नों से थे, मन लुभा लुभा हर लेते थे |द्वारों पर मोती सटे हुए, वहाँ बंधी झालरें लहराती,किले पर रंग बिरंगी सुन्दर, ध्वजा पताका फहराती |